Friday, July 4, 2014

क्या ईश्वर जो चाहे वो कर सकता है ? विज्ञानं और सिद्धांत की नज़र में -

मित्रो,

आज बात करते हैं सिद्धांतो और नियमो की - क्योंकि बिना इनके न तो धर्म संभव है न ही ज्ञान -

आइये अब देखते हैं - मुल्ले कौन सा आरोप ईश्वर पर लगाते हैं जिससे ईश्वर अन्यायकारी और नियम विरुद्ध ठहर जाता है -

क़ुरानी मत - मुल्ले बोलते हैं क़ुरान का अल्लाह सबसे ऊपर है उसके ऊपर कोई नहीं तो वो जो चाहे कर सकता है - कुछ भी कर सकता है - उसके लिए कोई कानून नहीं सारे कानून उसी के बनाये हैं - इससे वो जो चाहे जब चाहे तब कर सकता है बस इतना बोलता है "हो जा" और वो हो जाता है - कोई संदेह नहीं - कोई शक़्क़ो शुबह नहीं -

वैदिक विचार - ईश्वर ऐसा कुछ नहीं कर सकता जो सृष्टि नियम और सिद्धांत विरुद्ध हो - क्योंकि ईश्वर सर्वज्ञ है - न्यायकारी है - सत्य है - ज्ञानी है आदि आदि।

कुछ हिन्दू भाई भी धर्म तत्त्व से अनभिज्ञ होकर सृष्टि नियम व सिद्धांतो को ताक पर रखकर ईश्वर पर केवल दोष सिद्ध करके उसे न्यायकारी परमात्मा को अन्यायकारी और नियम विरुद्ध चलने वाला मान बैठते हैं - जिससे वो खुद ही नहीं जान पाते की ईश्वर क्या है - आइये एक छोटे से उदहारण से समझने की कोशिश करते हैं -

सिद्धांत क्या हैं और नियम क्या हैं - पहले ये समझना होगा -

सिद्धांत - जो अटल हो - सत्य हो - तर्कपूर्ण हो - जिनसे सिद्ध किया जाता है - ये छोटी सी परिभाषा है - समझने के लिए।

नियम - जो नियमित हो - जिनमे परिवर्तन न होता हो - जो मान्य हो - सत्य और न्याय पर आधारित हो - ये छोटी सी परिभाषा है - समझने के लिए।

2 + 2 = 4 ये एक बहुत छोटा सा सवाल है जिसे एक पहली कक्षा में पढ़ने वाला विद्यार्थी भी आसानी से हल कर सकता है - ये सवाल जिसका जवाब सैद्धांतिक और नियमानुसार नहीं बदल सकता - एक ही जवाब आएगा चाहे किसी भी प्रकार सिद्ध किया जाये।

अब जो मुल्ले चिल्ला चिल्ला के कहते हैं की क़ुरानी अल्लाह जो चाहे सो कर सकता है - तो भाई वो इस सवाल का जवाब अपने क़ुरान के अल्लाह को कह कर बदलवा दे - यदि क़ुरान का अल्लाह जो चाहे कर सकता है तो 2 + 2 = 4 होते हैं इसकी जगह जवाब में 5, 8, 22, 2222 कोई और संख्या करवा दे -

क्या क़ुरानी अल्लाह ये कर सकता है ? यदि हाँ तो इसका मतलब वो एक पहली कक्षा के बच्चे जितनी भी बुद्धि नहीं रखता। ना ही उसके पास ज्ञान हो सकता है। इससे वो ईश्वर नहीं ठहरा। और इस बात का भी खंडन हुआ की ईश्वर जो चाहे वो अपनी मर्ज़ी से नहीं कर सकता - सृष्टि नियम और सिद्धांतो के विरुद्ध तो कुछ भी नहीं।

और यदि नहीं तो इसका मतलब क़ुरान में झूठ बोला क़ुरान के अल्लाह ने की वो जो चाहे सो कर सकता है - यानि क़ुरान झूठा सिद्ध हुआ।

तो भाई ईश्वर विषय में जो वैदिक विचार ऊपर लिखा है वो ही सही हो सकता है दूसरा नहीं।

मुल्ले चाहे तो जवाब देने आ सकते हैं -

धन्यवाद -
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